• हार्ट अटैक
    Jun 20 2025

    ड्यूटी और बेटी के धर्म के बीच झूलती एक डॉक्टर — जब अपने ही पिता को हार्ट अटैक आता है, तो अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करती उसकी आँखों से आँसू बह निकलते हैं। मरीज़ समझती है, साथी बनती है, और इंसानियत रास्ता दिखाती है। Pathankot की OPD में उस दिन सिर्फ स्कैन नहीं रुके — एक बेटी की जद्दोजहद, एक पिता की पुकार, और समाज की संवेदना ने मिलकर ये साबित कर दिया कि जब दिल टूटते हैं, तब दिलवाले ही साथ खड़े मिलते हैं। ये है एक सच्ची घटना — ‘OPD Diaries’ से, डॉ. दीक्षा की जुबानी।

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  • बैटल ऑफ BLADDER
    Jun 14 2025

    बैटल ऑफ ब्लैडर” एक रेडियोलॉजिस्ट की ओपीडी डायरी से निकली सच्ची और मज़ेदार कहानी है, जहाँ अल्ट्रासाउंड से ज़्यादा चुनौती बन जाता है ‘बाथरूम का प्रेशर’। एक बुज़ुर्ग अंकल, जिनका प्रोस्टेट स्कैन होना है, बार-बार कहते हैं ‘प्रेशर बन गया’, लेकिन ब्लैडर हर बार धोखा दे देता है। कई बार लिटाने, समझाने और पानी पिलाने के बाद जो हुआ, वो डॉक्टर और स्टाफ — सबकी हँसी रोक नहीं पाया! ये कहानी दिखाती है कि मेडिकल साइंस में मशीनें भले एडवांस हों, लेकिन कभी-कभी सबसे बड़ी जंग इंसानी ब्लैडर से ही होती है!

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  • ड्यूटी इन टाइम्स ऑफ़ वॉर - Operation Sindoor
    Jun 9 2025

    एक डॉक्टर की सच्ची और मार्मिक कहानी है, जो पठानकोट की सरहद पर, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्लैकआउट और डर के माहौल में भी अपनी ड्यूटी निभाती है। जब पूरा शहर खामोश था, अस्पताल की रौशनी और इंसानियत की धड़कन ज़िंदा थी। इस कहानी में एक गर्भवती महिला की आशा, एक डॉक्टर का समर्पण, और एक पिता का देशभक्ति से भरा वचन — सब कुछ एक साथ गूँजता है। यह सिर्फ युद्ध की नहीं, मानवता, विश्वास और नयी ज़िंदगी की भी कहानी है। एक ऐसी सच्ची घटना, जो दिल को छू जाती है।

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    5 Min.
  • कानून के पार
    Jun 3 2025

    एक छोटे शहर की डॉक्टर की ओपीडी में आई लक्ष्मी — तीन बेटियों की माँ — फिर से गर्भवती है और अपने चौथे बच्चे का लिंग जानने की गुहार लगाती है। क़ानून की बंदिशें, सामाजिक ताने, और एक बेपरवाह पति के साए में वह टूट चुकी है। यह कहानी सिर्फ़ एक मरीज़ की नहीं, बल्कि उस समाज की है जहाँ बेटी होना अब भी एक बोझ समझा जाता है। एक डॉक्टर के रूप में उसका संघर्ष, एक औरत के रूप में उसकी पीड़ा… और एक सवाल — क्या हर बार क़ानून इंसानियत का साथ देता है?

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  • आशा — एक नाम, एक एहसास
    Jun 3 2025

    यह कहानी है एक गुमनाम लेकिन बेहद ज़रूरी योद्धा की — आशा वर्कर की, जो न सिर्फ़ गांवों-कस्बों में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाती हैं, बल्कि हर मरीज़ के लिए बहन, माँ और दोस्त बन जाती हैं। एक दिन एक गर्भवती महिला की जांच के दौरान, डॉक्टर को एक दर्दनाक सच्चाई का पता चलता है, जिसे आशा दीदी न सिर्फ़ समझती हैं बल्कि पूरी संवेदना और साहस से संभालती भी हैं। यह कहानी सिर्फ़ स्वास्थ्य सेवा की नहीं, बल्कि भरोसे, करुणा और नारी शक्ति की है — उन आशाओं की जो सच्चे अर्थों में हमारे समाज की रीढ़ हैं।


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    4 Min.