Entdecke mehr mit dem kostenlosen Probemonat
Mit Angebot hören
-
Koyla Bhai Na Raakh [Coal Ash]
- Gesprochen von: Rajat Verman
- Spieldauer: 7 Std. und 15 Min.
Artikel konnten nicht hinzugefügt werden
Der Titel konnte nicht zum Warenkorb hinzugefügt werden.
Der Titel konnte nicht zum Merkzettel hinzugefügt werden.
„Von Wunschzettel entfernen“ fehlgeschlagen.
„Podcast folgen“ fehlgeschlagen
„Podcast nicht mehr folgen“ fehlgeschlagen
Für 19,95 € kaufen
Sie haben kein Standardzahlungsmittel hinterlegt
Es tut uns leid, das von Ihnen gewählte Produkt kann leider nicht mit dem gewählten Zahlungsmittel bestellt werden.
Inhaltsangabe
लकड़ी जल कोयला भई कोयला जलकर राख।
मैं विरहन ऐसी जली कोयला भई न राख!
कबीरदास का यह दोहा वरिष्ठ लेखक राजेन्द्र राव के इस कहानी-संग्रह पर खरा उतरता है। संग्रह की पहली दस कहानियाँ प्रेम के अलग रंग-रूप और सौन्दर्य को पाठकों के सामने जीवन्त रूप में प्रस्तुत करती हैं। इनकी विशेषता यह है कि एक-एक कहानी अपने समय के मूल्यों, रीति-रिवाज़ों, परम्पराओं और परिवेश की हमक़दम है। ये कहानियाँ अपने समय के बनने-बिगड़ने, सँवरने तथा संवर्द्धित होते रूप को भी उद्घाटित करती चलती हैं। संग्रह की कुछ कहानियों में कला, संगीत, संगीतकारों व कलाकारों तथा उनके प्रति जनमानस के विचारों का सुन्दर चित्रण भी हुआ है।
संग्रह की शुरुआती कहानियों में प्रेम की चित्र-विचित्र कथाएँ हैं तो अगली पाँच कहानियाँ सर्कस के अदेखे-अजाने जीवन पर आधारित हैं। सर्कस में करतब दिखाने वाले कलाकारों के जीवन के रहस्य-रोमांच, जीवन-मृत्यु के बीच खतरों से पल-पल दोचार होने की कहानियाँ हैं। प्रतिदिन लोगों का मनोरंजन करने वाले कलाकारों के दुःख-दर्द की अन्दरूनी सच्चाई इन कहानियों में अप्रतिम ढंग से आई है।
कोयला भई न राख राजपाल एण्ड सन्ज़ से पहली बार 1975 में प्रकाशित हुई और पाठकों के आग्रह पर इतने वर्षों बाद फिर से यह उपलब्ध है, बिल्कुल नयी साज-सज्जा में।
Please note: This audiobook is in Hindi.